वैसे तो! भारत ही संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थाई सदस्य बनने का असली हकदार है। लेकिन नेहरू जी ने अपनी दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए यह मौका अपने पड़ोसी देश चीन को दिया।
उन्होंने अपने शासनकाल में भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थाई सदस्य न बनाकर अपने पड़ोसी राष्ट्र को स्थाई सदस्य बना दिया। लेकिन वर्तमान समय अमेरिका के राष्ट्रपति जो. बायडन चीन की विस्तारवादी नीति को देखते हुए। भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थाई सदस्य बनाने का समर्थन कर रहे हैं।
जो वाइडन एंड नरेंद्र मोदी: व्हाइट हाउस :-
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन तथा भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की द्विपक्षीय बैठक व्हाइट हाउस में संपन्न हुई। इस बैठक के दौरान उन्होंने भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थाई सदस्य तथा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह मे शामिल होने के लिए भारत का समर्थन किया।
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह( एनएसजी ) क्या है? :-
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह 48 देशों का समूह है। जो वैश्विक परमाणु व्यापार को विनियमित करता है। एनएसजी राष्ट्रों की सूची में भारत सम्मिलित नहीं है। भारत ने जब 2016 में एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन किया था। तब से चीन भारत का विरोध कर रहा है तथा इस बात पर जोर दे रहा है कि इस समूह में केवल विशेष देशों को ही सम्मिलित करने पर जोर देना चाहिए।
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जो.-बायडन-व-मोदी |
जो. बायडन व मोदी का संयुक्त बयान:-
व्हाइट हाउस में दोनों नेताओं की बैठक के बाद शुक्रवार को जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति बायडन ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी बैठक के दौरान अगस्त 2021 में भारत की "मजबूत नेतृत्व" की सराहना की।
इसमें कहा गया कि इस परिपेक्ष में बायडन ने सुधारों से युक्त संयुक्त संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता तथा उन देशों के लिए समर्थन किया है। जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट की आकांक्षा रखते हैं।
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