भ्रष्टाचार पर निबंध || Essay on corruption in hindi :-
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प्रस्तावना :-
भ्रष्ट और आचार दो शब्दों की योग से बनता है भ्रष्टाचार शब्द जिसका अर्थ होता है विस्तृत आचरण अथवा बिगड़ा हुआ आचरण भ्रष्टाचार शब्द को सदाचार का विलोम और कदाचार का समानार्थी माना जाता है नीति न्याय सत्य निष्ठा ईमानदारी और नैतिक और सात्विक पूर्वजों के विपरीत स्वार्थ असत्य और बेईमानी से संबंधित सभी कार्य भ्रष्टाचार कहलाते हैं |
भ्रष्टाचार के कारण :-
मनुष्य को भ्रष्टाचार कब अपनाना पड़ता है और क्यों वह भ्रष्टाचारी बन जाता है इसके अनेक कारण है मनुष्य की इच्छाएं और आवश्यकता है अनंत है जिनकी पूर्ति के लिए वह सदैव से ही प्रयत्नशील रहा है यदि किसी इच्छा अथवा आवश्यकता को पूर्ण करने में उचित माध्यम सफल नहीं होता है तो वह अनुचित माध्यम से उसकी पूर्ति का सफल सफल प्रयोग करता है अपने प्रिय जनों को लाभ पहुंचाने की इच्छा ने भी उसे उचित अनुचित साधनों का खुलकर प्रयोग करने को विवश कर दिया है
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धन लिप्सा :-
धन की लिप्सा की वृद्धि ने आजाद क्षेत्र में कालाबाजारी मुनाफाखोरी रिश्वत खोरी आदि को बढ़ावा दिया है आज अधिकांश लोगों द्वारा अनुचित तरीकों से धन संग्रह किया जा रहा है नौकरी पेशा व्यक्ति अपने सेवाकाल में इतना धन अर्जित कर लेना चाहता है जिससे अवकाश प्राप्त के बाद वह उसका जीवन व्यतीत हो सके व्यापारी वर्ग यह सोचता है कि न जाने कब घाटे की स्थिति आ जाए सरकार की नीति में कौन सा परिवर्तन आ जाए इसीलिए व्यक्ति अपनी तिजोरी भरने में लगा रहता है
भ्रष्टाचार का व्यापक प्रचार :-
आज जीवन का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र है जिसमें भ्रष्टाचार ना हो आजकल सर्वत्र भ्रष्टाचार का उद्घोष सुनाई पड़ रहा है अनेक देशों में मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति करने का उत्तरदायित्व सरकार ने ले लिया है अनेक देशों में लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की गई है तथा मनुष्य को भ्रष्टाचारी बढ़ाने की सभी कारणों को समूल नष्ट करने का प्रयत्न किया जा रहा है किंतु वहां भी भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो पाया है कहीं-कहीं तो वह रूप बदलकर मानव के साथ लगा हुआ है
राजनीतिक भ्रष्टाचार:-
गत वर्षों में राजनीतिक भ्रष्टाचार अधिक पनपा है इसे नियंत्रित करने के लिए अनेक आयोग नियुक्त किए गए हैं और उनकी जांचों में अनेक राजनेता दूसरी भी पाए गए हैं चारा घोटाला शेयर घोटाला दिल्लगी का यह सभी भ्रष्टाचार की बड़ी प्रकरण रहे हैं भ्रष्टाचार की इन प्रकरणों में अनेक राजनेता भी सम्मिलित है रहे हैं लेकिन उनके राजनीतिक पौधों के कारण उन्हें कालांतर में निर्दोष बताकर बरी कर दिया जाता है
आर्थिक जीवन में भ्रष्टाचार :-
आर्थिक जीवन में भी भ्रष्टाचार अपने चरम पर है जीवन उपयोगी आवश्यकता वस्तुओं में मिलावट बंद पैकेट में वस्तु की अनुपस्थिति अथवा निर्धारित मात्रा में कम सामग्री निर्धारित मानकों में घटिया सामग्री का निर्माण कुछ तो सामान कुछ मूल्यों में अनुच्छेद वृद्धि थोड़ी से स्वार्थ के लिए झूठ बोल देना आज विभिन्न रूपों में भ्रष्टाचार हो रहा है
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भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उपाय :-
यदि भ्रष्टाचार को समूल नष्ट नहीं किया जा सकता किंतु कम तो किया जा सकता है जीवन मूल्यों को पहचानने का प्रयत्न करके उनके यथावत पालन का दृढ़ संकल्प किया जाना चाहिए रस्ता 4 को मिटाने में धार्मिक सामाजिक संस्थाओं का सहयोग अवश्य लिया जाना चाहिए
उपसंहार :-
कानून से भी भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है कानून और व्यवस्था इस प्रकार स्थापित की जाएगी लोग उसके शिकंजे से बच ना पाए सर्वोत्तम उपाय तू भ्रष्ट लोगों की मनोवृति को बदलना है
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2 Comments
Nice essay 💞👌👌💜
ReplyDeleteNice article 👌👌💞❤
ReplyDeleteReally amazing .
Plz.
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