गुटनिरपेक्ष-आंदोलन||Non-Aligned-Movement |
गुटनिरपेक्ष आन्दोलन :-
द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का प्रारम्भ अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की एक महत्त्वपूर्ण घटना है। गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का प्रारम्भ अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर तथा पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद किया गया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का द्विध्रुवीकरण हो गया था। अतः पूजीवादी गुट एवं साम्यवादी गुट दोनों ने ही एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के नवोदित एवं स्वतन्त्र राष्ट्रों पर अपने-अपने गुटों में सम्मिलित होने के लिए दबाव डालना प्रारम्भ कर दिया था।
अतः इन राष्ट्रों ने अपनी स्वतन्त्र पहचान बनाए रखने के उद्देश्य से किसी भी सैन्य गुट में सम्मिलित न होकर सन् 1961 में नेहरू, टीटो तथा नासिर के नेतृत्व में गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की नींव रखी तथा तत्कालीन शीतयुद्ध के अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण ने इसे गति प्रदान की। शीतयुद्ध के राजनीतिक ध्रुवीकरण ने गुटनिरपेक्षता को तीव्र गति प्रदान करने में उत्प्रेरक का कार्य किया।
History-of-Non-Aligned-Movement-hindi |
गुटनिरपेक्ष आंदोलन का इतिहास :-
द्वितीय विश्वयद्ध के उपरान्त सदियों से पराधीनता की बेड़ियों में जकड़े एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के राष्टों ने लम्बे संघर्ष के उपरान्त स्वतन्त्रता प्राप्त की। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में नवोदित राष्ट्र एक रोमी का चयन करना चाहते थे जो उनके सम्मान तथा क्षमता के अनुरूप हो। अतः आत्मसम्मान की एक भूमिका के लिए सामूहिक पहल न केवल वाछित थी परन्तु आवश्यक भी थी। स्वतन्त्रतन न केवल वांछित थी परन्तु आवश्यक भी थी। स्वतन्त्रता तथा सामूहिकता की इस मानसिकता ने गुटनिरपेक्षता की वैचारिक तथा राजनीतिक नीं पेक्षता की वैचारिक तथा राजनीतिक नीव रखा। इस प्रक्रिया को शीतयुद्ध के तात्कालिक राजनीतिक वातावरण ने गति प्रदान की।
गुटनिरपेक्षता का अर्थ एवं परिभाषाएँ :-
साधारण शब्दों में गुटनिरपेक्षता का अर्थ है, शीतयुद्ध तथा सैन्य सन्धियों से दूर रहने के बावजूद राष्ट्र के राष्ट्रीय हितों तथा विश्व विचार पर आधारित स्वतन्त्र निर्णय द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध में सक्रिय रूप से भाग लेना। इस युग में सम्पूर्ण विश्व वास्तव में दो सैन्य गुटों में विभक्त हो गया था जिनके मध्य शीतयुद्ध छिड़ा हुआ था, भारत जैसे बहुत-से देशों के नीति-निर्माताओं ने शीतयुद्ध से दूर रहने तथा अपनी सुरक्षा व राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करने पर अधिक ध्यान देना उचित समझा।
जॉर्ज लिस्का के अनुसार :-
“किसी विवाद के सन्दर्भ में यह जानते हुए कि कौन सही है और कौन गलत है, किसी का पक्ष न लेने का विचार तटस्थता है। किन्तु गुटनिरपेक्षता का तार्य उचित और अनुचित में भेद करते हुए सदैव उचित का समर्थन करना है।''
पं० जवाहरलाल नेहरू के अनुसार :-
“गुटनिरपेक्षता शान्ति का मार्ग तथा संघर्ष से बचाव का मार्ग हैं। इसका उद्देश्य सैनिक गुटबन्दियों से दूर रहना है। यह एक निषेधात्मक नीति नहीं हैं, वरन् एक सकारात्मक, एक निश्चित और में आशा करता हूँ कि एक निरन्तर विकासशील नीति है।''
एम० एस० राजन के अनुसार :-
“विशेषतया तथा नकारात्मक रूप में गुटनिरपेक्षता का अर्थ हैं सैनिक या। राजनीतिक गठबन्धनो की अस्वीकृति। सकारात्मक रूप से इसका अर्थ है अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं पर जैसे भी। तथा जब भी यह सामने आए प्रत्येक मामले के लाभों के अनुरूप ही तदर्थ निर्णय लेना।''
संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि गुटनिरपेक्षता का तात्पर्य राष्ट्रों द्वारा स्वतन्त्र नीति अपनाने से है तथा किसी सैनिक गुट में सम्मिलित न होना है। प्रत्येक प्रकार की आक्रामक सन्धियों से दूर रहना हैं। उचित तथा अनुचित का विभेद करके उचित का समर्थन करना है। अतः गुटनिरपेक्षता एक नीति, मनोवृत्ति एवं दृष्टिकोण का समन्वित रूप है।
गुटनिरपेक्ष_आंदोलन_के_उद्देश्य |
गुटनिरपेक्ष आंदोलन के उद्देश्य :-
1961 तक 25 देशों ने इस नीति को अपना लिया था। आज अपने आपको गुटनिरपेक्ष कहे जाने वाले सदस्यों की संख्या बढ़कर 120 हो गई। शिखर सम्मेलन गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों का सबसे बड़ा अधिवेशन है। यह सम्मेलन प्रति तीन वर्ष बाद होता है। शिखर सम्मेलन में प्रायः 4 प्रकार के सदस्य भाग लेते हैं—पूर्ण सदस्य, पर्यवेक्षक राज्य सदस्य, पर्यवेक्षक गैर-राज्य सदस्य तथा अतिथि। असंलग्नतावादी आन्दोलन अथवा गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के तीन स्तम्भ थे—नेहरू, नासिर तथा टीटो। इस आन्दोलन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- शान्ति–विश्व में शान्ति तथा न्याय स्थापित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करना।
- सृजनात्मकता—विश्व में पनप रही विध्वंसात्मक प्रवृत्ति को समाप्त कराकर सृजनात्मक प्रवृत्ति की ओर मोड़ना।
- नि:शस्त्रीकरण-नि:शस्त्रीकरण कराने तथा विवादों का शान्तिपूर्ण समाधान कराने के लिए संघर्ष ।
- आर्थिक न्यायनिकट भविष्य में समस्त देशों में निजी और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक न्याय उपलब्ध कराना।
गुटनिरपेक्षता की नीति के प्रमुख लक्षण :-
- शक्ति गुटो से पृथक् रहना और महाशक्तियों के साथ सैनिक समझौता न करना।
- स्वतन्त्र विदेश नीति का अनुसरण करना।
- शान्ति एवं सद्भावना की नीति का विस्तार करना।
- साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, शोषण एवं आधिपत्य का विरोध करना।
- विकासशील नीति का अनुसरण करना।
- गुटनिरपेक्षता एक आन्दोलन हैं, गुट नहीं।
- गुटनिरपेक्ष आन्दोलन संयुक्त राष्ट्र संघ का सहायक अभिकरण है।
- गुटनिरपेक्षता ने शीतयुद्ध का विरोध किया है तथा शान्तिपूर्ण सह अस्तित्व एवं राष्ट्रों के मध्य सहयोग का समर्थन किया है।
- गुटनिरपेक्षता शक्ति राजनीति की विरोधी अवधारणा है।
- गुटनिरपेक्षता की नीति किसी भी वाद के विरुद्ध है।
- गुटनिरपेक्षता अलगाववाद की नहीं, वरन् क्रियाशीलता की नीति हैं।
- गुटनिरपेक्षता गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों की गुटबन्दी नहीं है।
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